जलाओ प्यार का दीपक उजाला हर तरफ बिखरे
सहर की लालिमा लेकर सबेरा हर तरफ बिखरे
जिन्हें है कामना गुल की उन्हें गुलशन ही मिल जाये
खुद _से _है _दुआ _मेरी खिंजा _में फूल _खिल जाए
किसी की जिन्दगी में फिर कभी कोई गम नही पसरे .....
सहर की .............................! !
लुटाओ _प्यार की_ खुशबु जहाँ में _फूल बनकर के
जो गुलशन को करे रुशवा चुभो उसे शूल बन कर के
चमन की आन है तुझसे तेरा यश हर तरफ बिखरे ......
सहर की ..........................!!
.......................अरविन्द राय
सहर की लालिमा लेकर सबेरा हर तरफ बिखरे
जिन्हें है कामना गुल की उन्हें गुलशन ही मिल जाये
खुद _से _है _दुआ _मेरी खिंजा _में फूल _खिल जाए
किसी की जिन्दगी में फिर कभी कोई गम नही पसरे .....
सहर की .............................!
लुटाओ _प्यार की_ खुशबु जहाँ में _फूल बनकर के
जो गुलशन को करे रुशवा चुभो उसे शूल बन कर के
चमन की आन है तुझसे तेरा यश हर तरफ बिखरे ......
सहर की ..........................!!
.......................अरविन्द
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