गुरुवार, 19 सितंबर 2013

जलाओ प्यार का दीपक उजाला हर तरफ बिखरे

जलाओ प्यार का दीपक उजाला हर तरफ बिखरे 
सहर की लालिमा लेकर सबेरा हर तरफ बिखरे 

जिन्हें है कामना गुल की उन्हें गुलशन ही मिल जाये 
खुद _से _है _दुआ _मेरी खिंजा _में फूल _खिल जाए 
किसी की जिन्दगी में फिर कभी कोई गम नही पसरे .....
सहर की .............................!!
लुटाओ _प्यार की_ खुशबु जहाँ में _फूल बनकर के 
जो गुलशन को करे रुशवा चुभो उसे शूल बन कर के 
चमन की आन है तुझसे तेरा यश हर तरफ बिखरे ......
सहर की ..........................!!

.......................अरविन्द राय

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