कवि अरविन्द राय
मंगलवार, 27 मई 2014
किसी की आँखों में सपने सजाने का ख़याल आया
उन्हें देखा तो उनसे दिल लगाने का ख़याल आया
इबादत मैंने की उनकी जिन्हें रुसवा किया तुमने
बजा जब मंदिर का घंटा मुझे माँ का ख्याल आया
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...............अरविन्द राय
मंगलवार, 13 मई 2014
क्या पता फिर कभी हम मिले ना मिले.......
मुझसे मिल के गले आज रो लीजिये
क्या पता फिर कभी हम मिले ना मिले.......!!
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