गुरुवार, 19 सितंबर 2013

तेरे_ इश्क़ ने गर_ सताया न_ होता

अपनी एक ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ........!

तेरे_ इश्क़ ने गर_ सताया न_ होता
तो यूँ_ आँसुओं को_ बहाया न होता
सफ़ीना भी साहिल की बाँहों में सोता
जो तूफ़ां _समुन्दर में आया न होता
अगर_ जानता _संगदिल की_ हक़ीक़त
तो दिल उस से हरगिज़ लगाया न होता
चंदा _में _है _दाग_ होता _यकीं _ग़र 
तो मे _चांदनी _में नहाया _न होता 
कशक आखिरी है यही दिल की अरविन्द
यकीं _बेवफाओं _पे _आया _न _होता ........!!

.....................अरविन्द राय

जलाओ प्यार का दीपक उजाला हर तरफ बिखरे

जलाओ प्यार का दीपक उजाला हर तरफ बिखरे 
सहर की लालिमा लेकर सबेरा हर तरफ बिखरे 

जिन्हें है कामना गुल की उन्हें गुलशन ही मिल जाये 
खुद _से _है _दुआ _मेरी खिंजा _में फूल _खिल जाए 
किसी की जिन्दगी में फिर कभी कोई गम नही पसरे .....
सहर की .............................!!
लुटाओ _प्यार की_ खुशबु जहाँ में _फूल बनकर के 
जो गुलशन को करे रुशवा चुभो उसे शूल बन कर के 
चमन की आन है तुझसे तेरा यश हर तरफ बिखरे ......
सहर की ..........................!!

.......................अरविन्द राय

अहिंसा की बाते कर बकरी बनो ना तुम,

अहिंसा की बाते कर बकरी बनो ना तुम, 
शेर की जुबान बोल सिंह बन जाईये
कायरो की भाषा छोड़,बीरों की शरण गह
छत्रपति शिव जी और राणा बन जाईये
मातृभूमि के लिए जो शीश को कटाए, 
ऐसे बीर महापुरुषों के बंश बन जाईये
देश को है लूट रहे सारे गाँधीवादी अब ,
हाथ में रिवाल्बर लेकर गोडसे बन जाईये...!

……………………………… अरविन्द राय

बुधवार, 18 सितंबर 2013

जख्म मिले चाहत में इतने कि सीना मुश्किल हो गया

जख्म मिले चाहत में इतने कि सीना मुश्किल हो गया 
कसम तुम्हारी खा कर  के अब  पीना मुश्किल हो गया 
दरवाज़े पर बैठ_ कर हर दिन_ राह तुम्हारी_ तकते है ........
लौट के आ जा अब तो तुम बिन जीना मुश्किल हो गया 

..................................................……………अरविन्द राय 

रूठे रूठे पिया को मनाऊ कैसे

रूठे रूठे पिया को मनाऊ कैसे …… 
उनके नैनो से नैना मिलाऊं कैसे …!!
प्रतिदिन पियवा देर से आवें 
राह तकत मोर नैन पिरावें
इक दिन देर भई जो मोसे 
काहे सजन मोहि पे रिसियावें ……
दिल की बतियाँ उन्हें समझाऊ कैसे ………
रूठे रूठे ………………!!
जाते समय मुड़ मुड़ के देखे 
नम आँखों से मोहे निरेखे
हाथ हिलाया जो मैंने तो 
नजरे फेर मनही मन लेखे …….  
जाते पियवा को वापस बुलाऊं कैसे ……… 
रूठे ररूठे पिया …………!!
अखियों में सपना सजन के ही आवे
बहिया पकड मोरी पास तन से लगावे
अखिया खुली सब खो गया सपना
बिरह अगनी में तन जल जावे ……. 
अपने सपने को अपना बनाऊ कैसे ……!!
रूठे रूठे पिया ……. !!
सावन रिमझिम रिमझिम बरशे
प्यासा मन कलियों का हरषे ….
सावन की बारिश में ब्याकुल …
पिया मिलन को तन मन तरसे
पिय मिलन की फुहार में नहाऊ कैसे ……. !!
रूठे रूठे पिया ……!!
 
……………अरविन्द राय 

देश सच में मेरा आज़ाद कहाँ हुआ अभी............!!

देश सच में मेरा आज़ाद कहाँ हुआ अभी............!!
मुगलों के बाद अंग्रेजों के गुलाम हुए
आक्रमणकारियों के हाथों गुलशन वीरान हुए
वीर शहीदों की चिताओं को जलाकर के 
गोरों से बचे तो अब कालों के गुलाम हुए 
कालों से आज़ादी का एलान कहाँ हुआ अभी ............!!
देश सच में ..............
"फूट डालो राज करो" नीति अंग्रेजो की थी 
दमनकारी नीति भी बनाई उन्ही गोरों ने थी 
खद्दर और खाकी भी उन्ही को अपना के चली 
जनता को दबाने वाली नीति अंग्रेजो की थी 
अंग्रेजो वाली निति का बिरोध कहाँ हुआ अभी .........!!
देश सच में .................
राजशाही टूटी लोकतंत्र का अवतार हुआ 
गुलशन में गुल नही सिर्फ खार खार हुआ 
राजनीती वोट की खिलाई गुल इस कदर 
सत्ता की खातिर हर रिश्ता तार तार हुआ 
जनतंत्र का यहाँ प्रसार कहाँ हुआ अभी ...........!!
देश सच में ....................
माली ही कुचलने लगा है मान कलियों का 
बहसी दरिंदों ने घटाया मान गलियों का
दामिनी और गुड़ियाँ की चीख गुजती फिजा में 
कहती है नर ने घटाया मान नारियों का 
गुड़ियाँ, दामिनी का इंसाफ कहाँ हुआ अभी................!!
देश सच में ............................

.......................................अरविन्द राय 

हमारी आँखों में हर दिन वही गुलजार रहता है

हमारी आँखों में हर दिन वही गुलजार रहता है 
जिसकी वफ़ा पे अब भी मुझे ऐतबार रहता है
जानते है की वे लौटकर न आएँगे कभी फिर भी 
जाने क्यों मुझे उनके  आने का इंतजार रहता है......?

.......................................अरविन्द राय 

मुझसे मिल के गले आज रो लीजिये

मुझसे मिल के गले आज रो लीजिये
क्या पता फिर कभी हम मिले ना मिले.......!!

........................................अरविन्द राय 

शौर्य को नमन अंगड़ाई को नमन

शौर्य को नमन अंगड़ाई को नमन और 
भगत सिंह वाली तरुणाई को नमन है 
कुवर,शिवा जी,राणा,भामा को नमन और  
बीर माता पन्ना जिजाबाई को नमन है 
गुरु,सुखदेव,मंगल पाण्डेय बोश को नमन 
अशफाक,तात्या,लक्ष्मीबाई को नमन है 
माता भारती के स्वाभिमान की सुरक्षा हेतु 
सीमा पे डटें जो उन सिपाही को नमन है.........!!

........................................अरविन्द राय 

आरक्षण की निति गलत है इसको हमे मिटाना है,

आरक्षण की निति गलत है, 
इसको हमे मिटाना है, 
मानवता के लिए पुनह 
मानवता को अपनाना है ,
जाती-पाती का भेद मिटाके 
समता हमे बनाना है ,
राजनीती के परेदारो 
देश प्रेम की बात करो, 
फुट डालने की निति से ,
देश को मत बर्बाद करो ,
याद करो उन बीरो को 
जो देश प्रेम के पथिक रहे 
जिनकी क़ुरबानी को देख 
 अँगरेज़ भी चकित रहे
जाती-पाती का खेल खेलना 
अब तो लोगो बंद करो 
बिष बमन के दातो को
अब तो लोगो कूंद करो 
बिन आरक्षण देश बनेगा 
बिश्व गुरु मानवता का 
जब यह देश समझ पायेगा 
कीमत ज्ञान और योग्यता का.........

.............................................अरविन्द राय 

आओ फिर प्यार की एक कहानी लिखें ......

आओ फिर प्यार की एक कहानी लिखें ......
चांदनी, चाँद और रात रानी लिखें ......
प्रेम की साधना की सरल ब्यंजना ......
प्यास चातक की स्वाति का पानी लिखें ......!

..........................................अरविन्द राय