शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

मंदिर गया मै मस्जिद गिरजा भी घूम आया 
गुरुद्वारा कशी कावा मथुरा में सर झुकाया 
बेचैन मन हमारा पाया सुकूँ कहिं ना
चरणों में माँ पिता के सुख शांति आ के पाया ......!

………………………………अरविन्द राय
आशमा से मौत जब बरसने लगी तो 
लोग असमय काल के ही ग्रास बनने लगे 
देखते ही देखते फिजा तो जलमग्न हुई 
सूखे पत्तो की तरह मकान बहने लगे 
आस्था के धाम में गए थे कुछ मागने को 
पर सब गवां के अब प्रलाप करने लगे 
किसी ने बहन खोया किसी ने गवाया भाई
कितनो ही घर के चिराग बुझने लगे ………। 

......................................... अरविन्द राय
नफरत की नही प्यार की शुरुआत कीजिये 
कुछ इस तरह से उनसे मुलाकात कीजिये 
है_ प्यार_ गर _तुझे तो _इजहार _यूँ करो 
कभी आ _के अकेले_ में मुलाकात कीजिये 
ग़र प्यार के _रिश्ते को निभाना है उम्र भर 
तो _उनकी तरह _अपने ख़यालात कीजिये 

............................................. अरविन्द राय

सोमवार, 26 अगस्त 2013

नफरत की नही प्यार की शुरुआत कीजिये



नफरत की नही प्यार की शुरुआत कीजिये 
कुछ इस तरह से उनसे मुलाकात कीजिये 
है_ प्यार_ गर _तुझे तो _इजहार _यूँ करो 
कभी आ _के अकेले_ में मुलाकात कीजिये 
ग़र प्यार के _रिश्ते को निभाना है उम्र भर 
तो _उनकी तरह _अपने ख़यालात कीजिये 

............................................. अरविन्द राय 

मंगलवार, 13 अगस्त 2013

आज़ादी का जश्न मनाया जायेगा

आज़ादी का जश्न मनाया जायेगा 
लाल किला पर ध्वज फरया जायेगा 
देश की खातिर सरहद पे मरने वालो 
कल तुमको बेईमान बनाया जायेगा 

...................................अरविन्द राय

सोमवार, 12 अगस्त 2013

देश सच में मेरा आज़ाद कहाँ हुआ अभी............!!


देश सच में मेरा आज़ाद कहाँ हुआ अभी............!!
मुगलों के बाद अंग्रेजों के गुलाम हुए
आक्रमणकारियों के हाथों गुलशन वीरान हुए
वीर शहीदों की चिताओं को जलाकर के 
गोरों से बचे तो अब कालों के गुलाम हुए 
कालों से आज़ादी का एलान कहाँ हुआ अभी ............!!
देश सच में ..............
"फूट डालो राज करो" नीति अंग्रेजो की थी 
दमनकारी नीति भी बनाई उन्ही गोरों ने थी 
खद्दर और खाकी भी उन्ही को अपना के चली 
जनता को दबाने वाली नीति अंग्रेजो की थी 
अंग्रेजो वाली निति का बिरोध कहाँ हुआ अभी .........!!
देश सच में .................
राजशाही टूटी लोकतंत्र का अवतार हुआ 
गुलशन में गुल नही सिर्फ खार खार हुआ 
राजनीती वोट की खिलाई गुल इस कदर 
सत्ता की खातिर हर रिश्ता तार तार हुआ 
जनतंत्र का यहाँ प्रसार कहाँ हुआ अभी ...........!!
देश सच में ....................
माली ही कुचलने लगा है मान कलियों का 
बहसी दरिंदों ने घटाया मान गलियों का
दामिनी और गुड़ियाँ की चीख गुजती फिजा में 
कहती है नर ने घटाया मान नारियों का 
गुड़ियाँ, दामिनी का इंसाफ कहाँ हुआ अभी................!!
देश सच में ............................

.......................................अरविन्द राय 

किसी की आँखों में सपने सजाने का ख़याल आया

किसी की आँखों में सपने सजाने का ख़याल आया 
उन्हें देखा तो उनसे दिल लगाने का ख़याल आया 
इबादत मैंने की उनकी जिन्हें रुसवा किया तुमने 
बजा जब मंदिर का घंटा मुझे माँ का ख्याल आया 
किसी मासूम चिड़िया के परों को नोचने वालों 
तुम्हे चौराहे पे फ़ासी लगाने का ख़याल आया 
इक चिड़िया मेरे आगन में आकर गुनगुनाई जब 
इक बेटी घर में हो मेरे मुझे ऐसा खयाल आया 
मुझे अफ़सोस है इसका की वो रुसवा हुए मुझसे 
मै जीते जी मरा फिर से मुझे जब ये खयाल आया
किसी हैवान ने इंसानियत को कर दिया रुसवा
मै भी कुछ कर नहीं पाया मुझे इसका मलाल आया

...............................................अरविन्द राय

शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

हे ममतामयी माँ शारदे मुझे भक्ति प्रसाद का घूट पिला दे

हे ममतामयी माँ शारदे मुझे भक्ति प्रसाद का घूट पिला दे 
शब्द के बंद से छन्द बना के करे अर्चना ऐसी शक्ति दिला दे 
रहे अनुराग तेरे चरणों में ना भूलू कभी ऐसी प्रीती खिला दे 
मै जड़ मुड़ अनाड़ी हूँ माँ उर में मेरे ज्ञान की ज्योति जला दे .............

.................अरविन्द राय

प्रेम प्रतीक सभी कहते है "ताज महल" को दुनिया में

प्रेम प्रतीक सभी कहते है "ताज महल" को दुनिया में 
पर सच है यह प्रेम नहीं दौलत की कहानी कहता है ……….

...............................................अरविन्द राय

मंगलवार, 6 अगस्त 2013

कुछ तो रहम करो अब हमपर मत बाटो इंसान को.....



धरती  बाटा, अम्बर  बाटा, बाट  दिया  भगवान को,
कुछ तो रहम करो अब हमपर मत बाटो इंसान को.....

रिश्तो की कीमत को समझो यूँ ना इसे बरबाद करो 
अपनी  आँखों  में औरों  के सपनो  को आबाद  करो
खुद की  खातिर जो  जीते है उनको  ये मालूम नही 
अश्क  बहाए   जो  गैरों  पे  वो  प्यारा  भगवान को.....
धरती ..........
जिनके  हाथ  में  पतवारें  है  वो  ही  नाव  डुबाते  है,
किस पे हम एतबार करे यहाँ  सबके हाथ ही काले हैं 
देश  धर्म  के लिए भगत,आज़ाद, बोश  बन  जाओ,
कागज के  टुकड़ो की खातिर  मत बेचो  इमान को....
धरती ...........
कौम की खातिर मिटने वाले इतना याद सदा रखना 
मानवता से नही बड़ा कुछ ईश्वर अल्ला का कहना 
जेहादी  बन, खून बहाना   जिसने  ये  फ़रमाया  है
कहना उसे बदनाम करें ना, कुरान-ए-रहमान को....
धरती ...................


 ................................................अरविन्द राय