बुधवार, 18 सितंबर 2013

रूठे रूठे पिया को मनाऊ कैसे

रूठे रूठे पिया को मनाऊ कैसे …… 
उनके नैनो से नैना मिलाऊं कैसे …!!
प्रतिदिन पियवा देर से आवें 
राह तकत मोर नैन पिरावें
इक दिन देर भई जो मोसे 
काहे सजन मोहि पे रिसियावें ……
दिल की बतियाँ उन्हें समझाऊ कैसे ………
रूठे रूठे ………………!!
जाते समय मुड़ मुड़ के देखे 
नम आँखों से मोहे निरेखे
हाथ हिलाया जो मैंने तो 
नजरे फेर मनही मन लेखे …….  
जाते पियवा को वापस बुलाऊं कैसे ……… 
रूठे ररूठे पिया …………!!
अखियों में सपना सजन के ही आवे
बहिया पकड मोरी पास तन से लगावे
अखिया खुली सब खो गया सपना
बिरह अगनी में तन जल जावे ……. 
अपने सपने को अपना बनाऊ कैसे ……!!
रूठे रूठे पिया ……. !!
सावन रिमझिम रिमझिम बरशे
प्यासा मन कलियों का हरषे ….
सावन की बारिश में ब्याकुल …
पिया मिलन को तन मन तरसे
पिय मिलन की फुहार में नहाऊ कैसे ……. !!
रूठे रूठे पिया ……!!
 
……………अरविन्द राय 

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