जख्म मिले चाहत में इतने कि सीना मुश्किल हो गया
कसम तुम्हारी खा कर के अब पीना मुश्किल हो गया
दरवाज़े पर बैठ_ कर हर दिन_ राह तुम्हारी_ तकते है ........
लौट के आ जा अब तो तुम बिन जीना मुश्किल हो गया
.............................. ....................……………अरवि न्द राय
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