गुरुवार, 3 नवंबर 2016

हमेशा सच ही कहता हूँ, तरफदारी नही हूँ
मेहनतकश हूँ मै यारों, कोई भिखारी नही हूँ
वाहक हूँ सूर तुलसी निराला की परम्परा का
मै चन्द भाड़ों की तरह कवि दरबारी नही हूँ

अरविन्द राय.........................
आओ फिर प्यार की इक कहानी लिखें
चाँदनी, चाँद और रात रानी लिखें
प्रेम की साधना की सरल व्यंजना
प्यास चातक की स्वाति का पानी लिखें

अरविन्द राय.........
वो कैसे तेरा हमसफ़र बनेंगे "अरविन्द"
जिन्हें सलीके से साथ चलना नही आता

अरविन्द राय......