तेरे इश्क़ ने गर सताया न होता
तो यूँ आँसुओं को बहाया न होता
सफ़ीना भी साहिल की बाँहों में सोता
जो तूफ़ां समुन्दर में आया न होता
अगर जानता संगदिल की हक़ीक़त
तो दिल उस से हरगिज़ लगाया न होता
( कवि अरविन्द राय )
तो यूँ आँसुओं को बहाया न होता
सफ़ीना भी साहिल की बाँहों में सोता
जो तूफ़ां समुन्दर में आया न होता
अगर जानता संगदिल की हक़ीक़त
तो दिल उस से हरगिज़ लगाया न होता
( कवि अरविन्द राय )