कभी कोई किसी के दिल में बस जाये तो क्या होगा
मोहब्बत का दीया
सिने में जल जाये तो क्या होगा
मेरी चाहत को मत
समझो,
मगर इक बार तो
सोचो
कोई मीरा किसी मोहन पे मर जाये तो क्या
होगा...!
किसी की बात में
आकर न अपना तुम,
उसे कहना
हकीकत की ज़मी पे ही तुम अपने पावँ को रखना
यहाँ अक्शर ही
मिलते है सभी चेहरे बदल करके
हकीक़त क्या, नक़ाबे क्या सदा तुम याद ये रखना....!
अगर अपनों की
नियत ही बदल जाये तो क्या होगा
तेरे दर
से कोई वापस चला जाये तो क्या होगा
जो रहता
है मेरे सिने में धड़कन की तरह बनकर
वो सिने
में अगर खंज़र चुभा जाये तो क्या होगा...!
मोहब्बत में कभी
खुशियाँ कभी आंशु भी पाया है
कभी हम साथ बहके
थे,
कभी तन्हा
बिताया है
बहारों की
उम्मीदे क्यों करूँ मै अपने आँगन में
मेरे हिस्से में
तो हर वक़्त बस पतझड़ ही आया है .
दिल किसी की चाहत
में बेकरार रहता है
प्यार का हर एक
लम्हा यादगार रहता है
वो न है ज़माने
में,
जानते तो है लेकिन
प्यार करने वालो
को इंतज़ार रहता है ...!
पतझड़ का है
ज़माना चलना सम्हल सम्हाल के
अपने भी है
पराये मिलना सम्हल सम्हल के
गुलशन में फूल
भी है कांटे भी तो बहुत है
माली भी घात में
है खिलना सम्हल सम्हल के ..!
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