दिल्ली की कहानी
लोगो की जुबानी
सन्नाटा चारो
तरफ फैला हुआ
खामोशी की चादर
ओढ़े सारा शहर
सो रहा है सुकून
की नींद और
लुट रही है कही
किसी कोने में
किसी अबला की
इज्ज़त ...
दरिन्दे अपनी
हवस की आग में
लक्ष्मी और
दुर्गा के प्रतिबिम्ब
को कलुषित कर रहे है .......
जैसे आज फिर कौरवों का
साम्राज्य
स्थापित हो गया है
हस्तिनापुर एक
बार फिर
अंधे धृत
राष्ट्रों के हाथो की
कठपुतली बन गया
है
एक बार फिर
द्रोपती को
निर्वस्त्र किया
जा रहा है
पांडव मूकदर्शक
बने है
कृष्ण कब आएगा
और
कब बचेगी
द्रोपती की लाज ......
हर नारी कर रही
है ये सवाल ....
कब होगा
हस्तिनापुर में ...
धर्मराज का राज
........
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