गुरुवार, 11 जुलाई 2013

हुआ आगमन नव बसंत का कलियों के यौवन मुस्काए.....

हुआ आगमन नव बसंत का कलियों के यौवन मुस्काए
सप्त रंगों से सजी रंगोली "होली आई वो ना आये "....!
प्रेम सुधा आँखों से छलके अंगड़ाई ले यौवन महके 
प्रेम रंग में तन मन भीगे आलिंगन को जियरा चहके
अभिलाषा परवान चढ़े कब,सोच के बिरहन अश्क बहाए ..
होली आई वो ना आये…. !
कलियों से अठखेली खेले भ्रमर प्रीति की होली खेले 
लता शाक से लिपट रही है इन्द्रधनुष को अंक में लेले
मधुमास की मधुर छटा में कौन बिरह के गीत सुनाये ...
होली ई वो ना आये .......!
होली तो त्यौहार है उनका साथ में प्रियतम प्यार हो जिनका
चारो तरफ गुलाल बिखेरे पिय से सजा श्रींगार हो जिनका
बिरह अगनि की आग जले जो कैसे रंग वो बदन लगाये ....
होली आई वो न आये .......!!

कवि अरविन्द राय .....

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