शनिवार, 29 जून 2013

तेरे इश्क़ ने गर सताया न होता

तेरे इश्क़ ने गर सताया न होता
तो यूँ आँसुओं को बहाया न होता
सफ़ीना भी साहिल की बाँहों में सोता
जो तूफ़ां समुन्दर में आया न होता
अगर जानता संगदिल की हक़ीक़त
तो दिल उस से हरगिज़ लगाया न होता



( कवि अरविन्द राय )

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